एक पिता और पुत्री की दुखद कहानी

एक पिता और पुत्री की दुखद कहानी 

एक राजा और उसकी एक पुत्र की बेहद दुखी घटना पर आधारित यह स्टोरी आपको हस्तलिखित माध्यम इस ब्लॉग पर उपलब्ध है। 

यह कहानी कुछ ऐसे है ....

एक राजा था वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था और वह राजा अपनी बेटी की शादी बहुत ही धूमधाम से एक घर में करना चाहता था और राजा ने अपनी प्यारी और दुलारी बेटी का विवाह एक ऐसे घर में कर दिय जो की खुशहाल घर था 




 और वहां पर संपत्ति भी बहुत थी लेकिन वह राजा भी बहुत सारा धन लड़की को दहेज़ में  दिया था और अपनी सारी संपत्ति अपनी लड़की के  नाम कर दिया था कुछ दिन तो सब ससुराल वाले राजा की बेटी को बहुत प्यार देते ....
बहुत दिन बीत गए थे।

  और ससुराल वाले बहुत कंजूस किस्म के व्यक्ति थे  लड़की अपने पिता को बहुत याद करती थी लेकिन अब ससुराल वाले लड़की को प्रेम और स्नेह देने के बजाय उसे परेशां करते थे  और लड़की भी अपने पिता की याद में खूब रोया करती  थी 

लड़की के ससुराल वाले लड़की को कई कारणों से उसे मारते भी थे यहाँ तक की उसे किसी भी वस्तुओ का उपयोग भी नहीं करने देते थे  यहां तक कि जब लड़की को अपने पिताजी को खत लिखना हुआ तो वह राजा की लड़की के पास स्याही पेन कुछ भी नहीं था लड़की को मजबूरी में अपनी उंगली काटकर अपने हाथो के कटे खून के कतरो से वह अपने पिताजी को पत्र लिखा करती थी।  

देखिये तो कैसे एक बेटी अपने पिता अपने दुखो की व्यथा को कैसे एक चिट्ठी में लिखकर व्यक्त करती है 
    

 " अंगुली के खून से लिखे चिट्ठियां। 
बाबू स्याही  के महंग भई तोहार बिटिया । 
  एक लाख दहेज दिहलस ससूरों अंगनवा ,
टीवी पंखा कूलर गाड़ी देहला  भरी ग भवनवा। 
 एतने  पर सासू जी पड़ा वे ले लाठिया,
 बाबू स्याही के  महंग  भाई तोहार बिटिया। 
 नई नई साड़ी लेकर गइले ससुररिया ,
सरिया छिना के थमा देवेली लुगरिया। 
इतना  पे जेठानी  जी सुनावे चार बतिया। 
बाबू स्याही के महंग भई तोहार बिटिया  "

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